श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 2: मध्य लीला  »  अध्याय 20: श्री चैतन्य महाप्रभु द्वारा सनातन गोस्वामी को परम सत्य के विज्ञान की शिक्षा  »  श्लोक 29
 
 
श्लोक  2.20.29 
ভূঞা হাসি’ কহে, — “আমি জানিযাছি পহিলে
অষ্ট মোহর হয তোমার সেবক-আঙ্চলে
भूञा हासि’ कहे, - “आमि जानियाछि पहिले ।
अष्ट मोहर हय तोमार सेवक - आँचले ॥29॥
 
अनुवाद
जमींदार ने मुस्कराते हुए कहा, "तुम्हारे देने से पहले ही मैं जानता था कि तुम्हारे सेवक के पास आठ सोने के सिक्के हैं।"
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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