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श्लोक 2.20.25  |
শুনি’ সনাতন তারে করিলা ভর্ত্সন
‘সঙ্গে কেনে আনিযাছ এই কাল-যম?’ |
शुनि’ सनातन तारे करिला भर्सन ।
‘सङ्गे केने आनियाछ एइ काल - यम?’ ॥25॥ |
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अनुवाद |
यह सुनकर, सनातन गोस्वामी ने अपने सेवक को डाँटा और कहा, "ये मृत्यु की घंटी तुम अपने साथ लेकर क्यों आये हो?" |
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