श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 2: मध्य लीला  »  अध्याय 20: श्री चैतन्य महाप्रभु द्वारा सनातन गोस्वामी को परम सत्य के विज्ञान की शिक्षा  »  श्लोक 215
 
 
श्लोक  2.20.215 
মথুরাতে কেশবের নিত্য সন্নিধান
নীলাচলে পুরুষোত্তম — ‘জগন্নাথ’ নাম
मथुराते केशवेर नित्य सन्निधान ।
नीलाचले पुरुषोत्तम - ‘जगन्नाथ’ नाम ॥215॥
 
अनुवाद
भगवान् केशव हमेशा मथुरा में रहते है और भगवान् पुरुषोत्तम, जिन्हें जगन्नाथ भी कहा जाता है, हमेशा नीलाचल में रहते है।
 
 ✨ ai-generated
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2025 vedamrit. All Rights Reserved.