वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्री चैतन्य चरितामृत
»
लीला 2: मध्य लीला
»
अध्याय 20: श्री चैतन्य महाप्रभु द्वारा सनातन गोस्वामी को परम सत्य के विज्ञान की शिक्षा
»
श्लोक 214
श्लोक
2.20.214
এক ‘কৃষ্ণলোক’ হয ত্রিবিধ-প্রকার
গোকুলাখ্য, মথুরাখ্য, দ্বারকাখ্য আর
एक ‘कृष्णलो क’ हय त्रिविध - प्रकार ।
गोकुलाख्य, मथुराख्य, द्वारकाख्य आर ॥214॥
अनुवाद
"कृष्णलोक को तीन खंडों में विभाजित किया गया है - गोकुल, मथुरा और द्वारका।"
✨ ai-generated
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2025 vedamrit. All Rights Reserved.