श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 2: मध्य लीला  »  अध्याय 20: श्री चैतन्य महाप्रभु द्वारा सनातन गोस्वामी को परम सत्य के विज्ञान की शिक्षा  »  श्लोक 214
 
 
श्लोक  2.20.214 
এক ‘কৃষ্ণলোক’ হয ত্রিবিধ-প্রকার
গোকুলাখ্য, মথুরাখ্য, দ্বারকাখ্য আর
एक ‘कृष्णलो क’ हय त्रिविध - प्रकार ।
गोकुलाख्य, मथुराख्य, द्वारकाख्य आर ॥214॥
 
अनुवाद
"कृष्णलोक को तीन खंडों में विभाजित किया गया है - गोकुल, मथुरा और द्वारका।"
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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