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श्लोक 2.20.185  |
প্রাভব-বৈভব-ভেদে বিলাস — দ্বিধাকার
বিলাসের বিলাস-ভেদ — অনন্ত প্রকার |
प्राभव - वैभव - भेदे विलास - द्विधाकार।
विलासेर विलास - भेद - अनन्त प्रकार ॥185॥ |
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अनुवाद |
"फिर से विलास के रूपों को दो भागों में बांटा गया है - प्राभव और वैभव। इन रूपों की लीलाओं के भी अनगिनत भेद हैं।" |
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