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श्लोक 2.20.166  |
‘স্বযṁ-রূপ’ ‘স্বযṁ-প্রকাশ’ — দুই রূপে স্ফূর্তি
স্বযṁ-রূপে — এক ‘কৃষ্ণ’ ব্রজে গোপ-মূর্তি |
‘स्वयं - रूप’ ‘स्वयं - प्रकाश’ - दुइ रूपे स्फूर्ति ।
स्वयं - रूपे - एक ‘कृष्ण’ व्रजे गोप - मूर्ति ॥166॥ |
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अनुवाद |
भगवान का मूल स्वरूप (स्वयं-रूप) दो रूपों में दिखाई देता है - स्वयं-रूप और स्वयं-प्रकाश। अपने मूल स्वयं-रूप में, कृष्ण को वृंदावन में एक ग्वाला बालक के रूप में देखा जाता है। |
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