श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 2: मध्य लीला  »  अध्याय 19: श्री चैतन्य महाप्रभु द्वारा श्रील रूप गोस्वामी को उपदेश  »  श्लोक 245
 
 
श्लोक  2.19.245 
রাত্রে তেঙ্হো স্বপ্ন দেখে, — প্রভু আইলা ঘরে
প্রাতঃ-কালে আসি’ রহে গ্রামের বাহিরে
रात्रे तेंहो स्वप्न देखे , - प्रभु आइला घरे ।
प्रातःकाले आसि’ रहे ग्रामेर बाहिरे ॥245॥
 
अनुवाद
चंद्रशेखर ने सपने में देखा कि प्रभु श्री चैतन्य महाप्रभु उनके घर आए थे; इसलिए सुबह-सुबह ही वे महाप्रभु का स्वागत करने नगर के बाहर चले गए थे।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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