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श्लोक 2.19.156  |
যদি বৈষ্ণব-অপরাধ উঠে হাতী মাতা
উপাডে বা ছিণ্ডে, তার শুখি’ যায পাতা |
यदि वैष्णव - अपराध उठे हाती माता ।
उपाड़े वा छिण्डे, तार शुखि’ याय पाता ॥156॥ |
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अनुवाद |
भौतिक संसार में भक्ति-लता की साधना करते समय यदि कोई भक्त वैष्णव के चरणों में अपराध करता है, तो उसका अपराध पागल हाथी के समान होता है जो लता को उखाड़ फेंकता है और उसे नष्ट कर देता है। इस तरह लता की पत्तियाँ सूख जाती हैं। |
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