श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 2: मध्य लीला  »  अध्याय 19: श्री चैतन्य महाप्रभु द्वारा श्रील रूप गोस्वामी को उपदेश  »  श्लोक 102
 
 
श्लोक  2.19.102 
শ্যাম-রূপের বাস-স্থান শ্রেষ্ঠ মান’ কায?
‘পুরী মধু-পুরী বরা’ — কহে উপাধ্যায
श्याम - रूपेर वास - स्थान श्रेष्ठ मा न’ काय? ।
‘पुरी मधु - पुरी वरा’ - कहे उपाध्याय ॥102॥
 
अनुवाद
"कृष्ण के सभी धामों में से तुम किसे सबसे बेहतर मानते हो?" रघुपति उपाध्याय ने जवाब देते हुए कहा, "मधुपुरी, यानी मथुरा-धाम निस्संदेह सबसे बेहतर है।"
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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