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श्लोक 94
श्लोक
2.18.94
লোকে কহে, — কৃষ্ণ প্রকট কালীয-দহের জলে!
কালীয-শিরে নৃত্য করে, ফণা-রত্ন জ্বলে
लोके कहे , - कृष्ण प्रकट कालीय - दहेर जले! ।
कालीय - शिरे नृत्य करे, फणा - रत्न ज्वले ॥94॥
अनुवाद
लोगों ने जवाब दिया, "कालीयदह के पानी में कृष्ण जी फिर से प्रकट हुए हैं। वे कालीय साँप के फनों पर नाच रहे हैं और उन फनों पर जड़े हुए रत्न चमक रहे हैं।"
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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