श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 2: मध्य लीला  »  अध्याय 18: श्री चैतन्य महाप्रभु द्वारा वृन्दावन में भ्रमण  »  श्लोक 92
 
 
श्लोक  2.18.92 
এক-দিন অক্রূরেতে লোক প্রাতঃ-কালে
বৃন্দাবন হৈতে আইসে করি’ কোলাহলে
एक - दिन अ क्रूरेते लोक प्रातः - काले ।
वृन्दावन हैते आइसे करि’ कोलाहले ॥92॥
 
अनुवाद
एक दिन सुबह के समय अनेक लोग अक्रूरतीर्थ पहुँचे। क्योंकि वे सभी वृंदावन से आए थे, इसलिए वे काफी शोर मचा रहे थे।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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