श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 2: मध्य लीला  »  अध्याय 18: श्री चैतन्य महाप्रभु द्वारा वृन्दावन में भ्रमण  »  श्लोक 87
 
 
श्लोक  2.18.87 
কিন্তু আজি এক মুঞি ‘স্বপ্ন’ দেখিনু
সেই স্বপ্ন পরতেক তোমা আসি’ পাইনু
किन्तु आजि एक मुञि ‘स्वप्न’ देखिनु ।
सेइ स्वप्न परतेक तोमा आसि’ पाइनु ॥87॥
 
अनुवाद
“आज रात ही मैंने एक स्वप्न देखा। उस सपने के अनुसार ही मैं यहाँ आ सका और आपसे मिल पाया।”
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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