|
|
|
श्लोक 2.18.86  |
রাজপুত-জাতি মুঞি, ও-পারে মোর ঘর
মোর ইচ্ছা হয — ‘হঙ বৈষ্ণব-কিঙ্কর’ |
राजपुत - जाति मुञि, ओ - पारे मोर घर ।
मोर इच्छा हय - ‘हङवैष्णव - किङ्कर’ ॥86॥ |
|
अनुवाद |
"मैं राजपूत जाति का हूँ और मेरा घर यमुना नदी के उस पार है। किन्तु मैं वैष्णव का भक्त बनना चाहता हूँ।" |
|
|
|
✨ ai-generated |
|
|