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श्लोक 2.18.83  |
‘কেশী’ স্নান করি’ সেই ‘কালীয-দহ’ যাইতে
আম্লি-তলায গোসাঞিরে দেখে আচম্বিতে |
‘केशी’ स्नान करि’ से ‘कालीय - दह’ याइते ।
आम्लि - तलाय गोसाञि रे देखे आचम्बिते ॥83॥ |
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अनुवाद |
केशी-तीर्थ पर स्नान करने के बाद, कृष्णदास कालीय-दह की ओर गया जहाँ उसे अचानक ही श्री चैतन्य महाप्रभु आमली-तला (तेन्तुली-तला) में बैठे हुए दिखाई दिए। |
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