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श्लोक 2.18.78  |
তেঙ্তুল-তলে বসি’ করে নাম-সঙ্কীর্তন
মধ্যাহ্ন করি’ আসি’ করে ‘অক্রূরে’ ভোজন |
तेंतुल - तले व सि’ करे नाम - सङ्कीर्तन ।
मध्याह्न करि’ आसि’ करे ‘अक्रूरे’ भोजन ॥78॥ |
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अनुवाद |
श्री चैतन्य महाप्रभु इस प्राचीन इमली के पेड़ के नीचे बैठकर भगवान का कीर्तन करते थे। दोपहर को वे भोजन के लिए अक्रूर तीर्थ लौट आते थे। |
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