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श्लोक 2.18.70  |
লোকের সঙ্ঘট্ট দেখি মথুরা ছাডিযা
একান্তে ‘অক্রূর-তীর্থে’ রহিলা আসিযা |
लोकेर सङ्घट्ट देखि मथुरा छाड़िया ।
एकान्ते ‘अक्रूर - तीर्थे’ रहिला आसिया ॥70॥ |
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अनुवाद |
मथुरा में भारी भीड़ इकट्ठा होती देखकर श्री चैतन्य महाप्रभु ने मथुरा छोड़ दिया और अक्रूर तीर्थ चले गए। वहाँ उन्होंने एकांत जगह में निवास किया। |
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