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श्लोक 2.18.67  |
‘শ্রীবন’ দেখি’ পুনঃ গেলা ‘লোহ-বন’
‘মহাবন’ গিযা কৈলা জন্ম-স্থান-দরশন |
‘श्रीवन’ देखि’ पुनः गेला ‘लोह - वन’ ।
‘महावन’ गिया कैला जन्म - स्थान - दरशन ॥67॥ |
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अनुवाद |
इसके बाद श्री चैतन्य महाप्रभु ने श्रीवन और लोहवन का भ्रमण किया। फिर वे महावन गए और कृष्ण की बाल लीलाओं का स्थान गोकुल देखा। |
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