श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 2: मध्य लीला  »  अध्याय 18: श्री चैतन्य महाप्रभु द्वारा वृन्दावन में भ्रमण  »  श्लोक 67
 
 
श्लोक  2.18.67 
‘শ্রীবন’ দেখি’ পুনঃ গেলা ‘লোহ-বন’
‘মহাবন’ গিযা কৈলা জন্ম-স্থান-দরশন
‘श्रीवन’ देखि’ पुनः गेला ‘लोह - वन’ ।
‘महावन’ गिया कैला जन्म - स्थान - दरशन ॥67॥
 
अनुवाद
इसके बाद श्री चैतन्य महाप्रभु ने श्रीवन और लोहवन का भ्रमण किया। फिर वे महावन गए और कृष्ण की बाल लीलाओं का स्थान गोकुल देखा।
 
 ✨ ai-generated
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2025 vedamrit. All Rights Reserved.