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श्लोक 2.18.6  |
দেখি’ সব গ্রাম্য-লোকের বিস্ময হৈল মন
প্রেমে প্রভু করে রাধা-কুণ্ডের স্তবন |
देखि’ सब ग्राम्य - लोकेर विस्मय हैल मन ।
प्रेमे प्रभु करे राधा - कुण्डेर स्तवन ॥6॥ |
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अनुवाद |
जब गाँव के लोगों ने धान के खेतों के बीच स्थित दो कुंडों में श्री चैतन्य महाप्रभु को स्नान करते देखा तो वे अत्यधिक आश्चर्यचकित हुए। तत्पश्चात् महाप्रभु ने श्री राधाकुंड की स्तुति की। |
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