श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 2: मध्य लीला  »  अध्याय 18: श्री चैतन्य महाप्रभु द्वारा वृन्दावन में भ्रमण  »  श्लोक 52
 
 
श्लोक  2.18.52 
‘গোবিন্দ’ ভক্ত, আর বাণী-কৃষ্ণদাস
পুণ্ডরীকাক্ষ, ঈশান, আর লঘু-হরিদাস
‘गोविन्द’ भक्त, आर वाणी - कृष्णदास ।
पुण्डरीकाक्ष, ईशान, आर लघु - हरिदास ॥52॥
 
अनुवाद
महान भक्त गोविन्द, वाणी कृष्णदास, पुण्डरीकाक्ष, ईशान और लघु हरिदास भी उनके साथ थे।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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