श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 2: मध्य लीला  »  अध्याय 18: श्री चैतन्य महाप्रभु द्वारा वृन्दावन में भ्रमण  »  श्लोक 50
 
 
श्लोक  2.18.50 
ভূগর্ভ-গোসাঞি, আর শ্রী-জীব-গোসাঞি
শ্রী-যাদব-আচার্য, আর গোবিন্দ গোসাঞি
भूगर्भ - गोसाञि, आर श्री - जीव - गोसाञि ।
श्री - यादव - आचार्य, आर गोविन्द गोसाञि ॥50॥
 
अनुवाद
श्रील रूप गोस्वामी के साथ भूगर्भ गोस्वामी, श्री जीव गोस्वामी, श्री यादव आचार्य और गोविन्द गोस्वामी भी थे।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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