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श्लोक 2.18.5  |
তীর্থ ‘লুপ্ত’ জানি’ প্রভু সর্বজ্ঞ ভগবান্
দুই ধান্য-ক্ষেত্রে অল্প-জলে কৈলা স্নান |
तीर्थ ‘लुप्त’ जानि’ प्रभु सर्वज्ञ भगवान् ।
दुई धान्य - क्षेत्रे अल्प - जले कैला स्नान ॥5॥ |
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अनुवाद |
तब महाप्रभु को समझ में आया कि राधाकुंड नाम का तीर्थस्थल अब नहीं रहा। लेकिन ज्ञान और शक्ति के धनी महाप्रभु ने दो खेतों में स्थित बचे राद्धा कुंड और श्याम कुंड को अपने ज्ञान से ढूँढ निकाला। इसमें बहुत कम पानी था, इसके बावजूद भी महाप्रभु ने वहाँ स्नान किया। |
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