श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 2: मध्य लीला  »  अध्याय 18: श्री चैतन्य महाप्रभु द्वारा वृन्दावन में भ्रमण  »  श्लोक 46
 
 
श्लोक  2.18.46 
বৃদ্ধ-কালে রূপ-গোসাঞি না পারে যাইতে
বাঞ্ছা হৈল গোপালের সৌন্দর্য দেখিতে
वृद्ध - काले रूप - गोसाञि ना पारे याइते ।
वाञ्छा हैल गोपालेर सौन्दर्य देखिते ॥46॥
 
अनुवाद
श्रील रूप गोस्वामी वृद्धावस्था में वहाँ नहीं जा सकते थे, परन्तु गोपाल के सौन्दर्य को देखने का उनका मन था।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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