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श्लोक 2.18.46  |
বৃদ্ধ-কালে রূপ-গোসাঞি না পারে যাইতে
বাঞ্ছা হৈল গোপালের সৌন্দর্য দেখিতে |
वृद्ध - काले रूप - गोसाञि ना पारे याइते ।
वाञ्छा हैल गोपालेर सौन्दर्य देखिते ॥46॥ |
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अनुवाद |
श्रील रूप गोस्वामी वृद्धावस्था में वहाँ नहीं जा सकते थे, परन्तु गोपाल के सौन्दर्य को देखने का उनका मन था। |
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