श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 2: मध्य लीला  »  अध्याय 18: श्री चैतन्य महाप्रभु द्वारा वृन्दावन में भ्रमण  »  श्लोक 45
 
 
श्लोक  2.18.45 
পর্বতে না চডে দুই — রূপ-সনাতন
এই-রূপে তাঙ্-সবারে দিযাছেন দরশন
पर्वते ना चड़े दुई - रूप - सनातन ।
एइ - रूपे ताँ - सबारे दियाछेन दरशन ॥45॥
 
अनुवाद
रूप और सनातन नाम के दो भाई पर्वत पर नहीं चढ़े। भगवान गोपाल ने उन्हें भी अपना दर्शन दिया।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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