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श्लोक 2.18.45  |
পর্বতে না চডে দুই — রূপ-সনাতন
এই-রূপে তাঙ্-সবারে দিযাছেন দরশন |
पर्वते ना चड़े दुई - रूप - सनातन ।
एइ - रूपे ताँ - सबारे दियाछेन दरशन ॥45॥ |
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अनुवाद |
रूप और सनातन नाम के दो भाई पर्वत पर नहीं चढ़े। भगवान गोपाल ने उन्हें भी अपना दर्शन दिया। |
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