श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 2: मध्य लीला  »  अध्याय 18: श्री चैतन्य महाप्रभु द्वारा वृन्दावन में भ्रमण  »  श्लोक 42
 
 
श्लोक  2.18.42 
এই-মত গোপালের করুণ স্বভাব
যেই ভক্ত জনের দেখিতে হয ‘ভাব’
एइ - मत गोपालेर करुण स्वभाव ।
येइ भक्त जनेर देखिते हय ‘भाव’ ॥42॥
 
अनुवाद
भगवान गोपाल अपने भक्तों के प्रति दयालु और कृपालु रहते हैं। यह देखकर भक्तगण भावविभोर हो जाते हैं।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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