आरिटे राधा - कुण्ड - वार्ता पुछे लोक - स्थाने ।
केह नाहि कहे, सङ्गेर ब्राह्मण ना जाने ॥4॥
अनुवाद
श्री चैतन्य महाप्रभु ने वहाँ रहने वाले लोगों से पूछा कि राधाकुण्ड कहाँ है, किन्तु उन्हें कोई भी कुछ नहीं बता सका। साथ में रखा हुआ ब्राह्मण भी कुछ नहीं जानता था।