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श्लोक 2.18.37  |
গোপালের সৌন্দর্য দেখি’ প্রভুর আবেশ
এই শ্লোক পডি’ নাচে, হৈল দিন-শেষ |
गोपालेर सौन्दर्य दे खि’ प्रभुर आवेश ।
एइ श्लोक प ड़ि’ नाचे, हैल दिन - शेष ॥37॥ |
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अनुवाद |
गोपाल के अर्चा विग्रह का सौंदर्य देखते ही महाप्रभु प्रेम भाव से विह्वल हो गए और उन्होंने तुरंत एक श्लोक पढ़ा। फिर वे कीर्तन करते और नाचते हुए सूरज ढलने तक मग्न रहे। |
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