श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 2: मध्य लीला  »  अध्याय 18: श्री चैतन्य महाप्रभु द्वारा वृन्दावन में भ्रमण  »  श्लोक 35
 
 
श्लोक  2.18.35 
‘গোবিন্দ-কুণ্ডাদি’ তীর্থে প্রভু কৈলা স্নান
তাহাঙ্ শুনিলা — গোপাল গেল গাঙ্ঠুলি গ্রাম
‘गोविन्द - कुण्डादि’ तीर्थे प्रभु कैला स्नान ।
ताहाँ शुनिला - गोपाल गेल गाँठुलि ग्राम ॥35॥
 
अनुवाद
श्री चैतन्य महाप्रभु ने गोविंद-कुण्ड में स्नान किया और वहाँ उन्होंने सुना कि गोपाल-अर्चाविग्रह गाँठुलि ग्राम जा चुके हैं।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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