श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 2: मध्य लीला  »  अध्याय 18: श्री चैतन्य महाप्रभु द्वारा वृन्दावन में भ्रमण  »  श्लोक 27
 
 
श्लोक  2.18.27 
এক-জন আসি’ রাত্রে গ্রামীকে বলিল
‘তোমার গ্রাম মারিতে তুরুক-ধারী সাজিল
एक - जन आसि’ रात्रे ग्रामीके बलिल ।
‘तोमार ग्राम मारिते तुरुक - धारी साजिल ॥27॥
 
अनुवाद
एक व्यक्ति गाँव में आकर बोला, "तुर्क सैनिक अब तुम लोगों के गाँव पर आक्रमण करने की तैयारी कर रहे हैं।"
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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