श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 2: मध्य लीला  »  अध्याय 18: श्री चैतन्य महाप्रभु द्वारा वृन्दावन में भ्रमण  »  श्लोक 24
 
 
श्लोक  2.18.24 
এত মনে করি’ প্রভু মৌন করি’ রহিলা
জানিযা গোপাল কিছু ভঙ্গী উঠাইলা
एत मने करि’ प्रभु मौन करि’ रहिला ।
जानिया गोपाल किछु भङ्गी उठाइला ॥24॥
 
अनुवाद
इस प्रकार चिंतन करते हुए महाप्रभु मौन हो गए, किंतु भगवान गोपाल उनके मन में आ रहे विचारों को जानते थे, अतः उन्होंने एक चाल चली।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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