श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 2: मध्य लीला  »  अध्याय 18: श्री चैतन्य महाप्रभु द्वारा वृन्दावन में भ्रमण  »  श्लोक 23
 
 
श्लोक  2.18.23 
‘গোবর্ধন-উপরে আমি কভু না চডিব
গোপাল-রাযের দরশন কেমনে পাইব?’
‘गोवर्धन - उपरे आमि कभु ना चड़िब ।
गोपाल - रात्र्येर दरशन केमने पाइब ?’ ॥23॥
 
अनुवाद
चौपाई:
श्री चैतन्य महाप्रभु ने कहा, "मैं तो गोवर्धन पर्वत पर चढ़ूंगा नहीं, तो मुझे श्री गोपाल राय का दर्शन कैसे होगा?"
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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