श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 2: मध्य लीला  »  अध्याय 18: श्री चैतन्य महाप्रभु द्वारा वृन्दावन में भ्रमण  »  श्लोक 227
 
 
श्लोक  2.18.227 
যেই তর্ক করে ইহাঙ্, সেই — ‘মূর্খ-রাজ’
আপনার মুণ্ডে সে আপনি পাডে বাজ
येइ तकर् करे इहाँ, सेइ - ‘मूर्ख - राज’ ।
आपनार मुण्डे से आपनि पाड़े वाज ॥227॥
 
अनुवाद
जो कोई भी इस विषय में बहस करता है, वह एक बड़ा मूर्ख है। वह जान-बूझकर अपने सिर पर ही मुसीबत मोल लेता है।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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