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श्लोक 2.18.222  |
এই-মত চলি‘ প্রভু ‘প্রযাগ’ আইলা
দশ-দিন ত্রিবেণীতে মকর-স্নান কৈলা |
एइ - मत च लि’ प्रभु ‘प्रयाग’ आइला ।
दश - दिन त्रिवेणीते मकर - स्नान कैला ॥222॥ |
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अनुवाद |
श्री चैतन्य महाप्रभु अंततः प्रयाग पहुंचे और मकर संक्रांति (माघ मेला) के अवसर पर लगातार दस दिनों तक गंगा और यमुना नदियों के संगम में स्नान किया। |
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