তাঙ্র সঙ্গে অন্যোন্যে, তাঙ্র সঙ্গে আন
এই-মত ‘বৈষ্ণব’ কৈলা সব দেশ-গ্রাম
ताँर सङ्गे अन्योन्ये, ताँर सङ्गे आन ।
एइ - मत ‘वैष्णव’ कैला सब देश - ग्राम ॥220॥
अनुवाद
जो कोई भी श्री चैतन्य महाप्रभु से मिला, वह वैष्णव हो गया और जो कोई उस वैष्णव से मिला, वह भी वैष्णव बन गया। इस तरह एक के बाद एक सारे शहरों और गाँवों के लोग वैष्णव हो गए।