श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 2: मध्य लीला  »  अध्याय 18: श्री चैतन्य महाप्रभु द्वारा वृन्दावन में भ्रमण  »  श्लोक 22
 
 
श्लोक  2.18.22 
সে-রাত্রি রহিলা হরিদেবের মন্দিরে
রাত্রে মহাপ্রভু করে মনেতে বিচারে
से - रात्रि रहिला हरिदेवेर मन्दिरे ।
रात्रे महाप्रभु करे मनेते विचारे ॥22॥
 
अनुवाद
उस रात्रि प्रातः महाप्रभु हरिदेव के मन्दिर में ठहरा, और रात्रि में ही भगवान श्री चैतन्य महाप्रभु अपने मन में विचार करने लगे।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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