श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 2: मध्य लीला  »  अध्याय 18: श्री चैतन्य महाप्रभु द्वारा वृन्दावन में भ्रमण  »  श्लोक 216
 
 
श्लोक  2.18.216 
প্রযাগ-পর্যন্ত দুঙ্হে তোমা-সঙ্গে যাব
তোমার চরণ-সঙ্গ পুনঃ কাহাঙ্ পাব?
प्रयाग - पर्यन्त दुँहे तोमा - सङ्गे याब ।
तोमार चरण - सङ्ग पुनः काहाँ पाब? ॥216॥
 
अनुवाद
हम आपके साथ प्रयाग तक चलने की प्रार्थना करते हैं। यदि हम अभी नहीं जाते हैं, तो हमें आपके चरण-कमलों का संग दोबारा कब मिलेगा?
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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