श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 2: मध्य लीला  »  अध्याय 18: श्री चैतन्य महाप्रभु द्वारा वृन्दावन में भ्रमण  »  श्लोक 214
 
 
श्लोक  2.18.214 
সোরো-ক্ষেত্রে আসি’ প্রভু কৈলা গঙ্গা-স্নান
গঙ্গা-তীর-পথে কৈলা প্রযাগে প্রযাণ
सोरो - क्षेत्रे आसि’ प्रभु कैला गङ्गा - स्नान ।
गङ्गा - तीर - पथे कैला प्रयागे प्रयाण ॥214॥
 
अनुवाद
इसके बाद श्री चैतन्य महाप्रभु सोरोक्षेत्र नामक पवित्र तीर्थस्थान पर गए। वहां उन्होंने गंगा नदी में स्नान किया और फिर गंगा के किनारे-किनारे प्रयाग की ओर प्रस्थान किया।
 
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