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श्लोक 2.18.211  |
পাঠান-বৈষ্ণব বলি’ হৈল তাঙ্র খ্যাতি
সর্বত্র গাহিযা বুলে মহাপ্রভুর কীর্তি |
पाठान - वैष्णव ब लि’ हैल ताँर ख्याति ।
सर्वत्र गाहिया बुले महाप्रभुर कीर्ति ॥211॥ |
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अनुवाद |
बाद में ये पठान पठान वैष्णवों के रूप में प्रसिद्ध हुए। वे देश भर में घूमते रहे और श्री चैतन्य महाप्रभु की महिमा का गुणगान करते रहे। |
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