श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 2: मध्य लीला  »  अध्याय 18: श्री चैतन्य महाप्रभु द्वारा वृन्दावन में भ्रमण  »  श्लोक 21
 
 
श्लोक  2.18.21 
ভট্টাচার্য ‘ব্রহ্ম-কুণ্ডে’ পাক যাঞা কৈল
ব্রহ্ম-কুণ্ডে স্নান করি’ প্রভু ভিক্ষা কৈল
भट्टाचार्य ‘ब्रह्म - कण्डे’ पाक याञा कैल ।
ब्रह्म - कुण्डे स्नान करि’ प्रभु भिक्षा कैल ॥21॥
 
अनुवाद
भट्टाचार्य जी ने ब्रह्म कुण्ड में भोजन बनाया और महाप्रभु जी ने ब्रह्म कुण्ड में स्नान करने के पश्चात भोजन ग्रहण किया।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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