श्री चैतन्य चरितामृत » लीला 2: मध्य लीला » अध्याय 18: श्री चैतन्य महाप्रभु द्वारा वृन्दावन में भ्रमण » श्लोक 207 |
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| | श्लोक 2.18.207  | ‘রামদাস’ বলি’ প্রভু তাঙ্র কৈল নাম
আর এক পাঠান, তাঙ্র নাম — ‘বিজুলী-খাঙ্ন’ | ‘रामदास’ बलि’ प्रभु ताँर कैल नाम ।
आर एक पाठान, ताँर नाम - ‘विजुली - खाँन’ ॥207॥ | | अनुवाद | इस तरह श्री चैतन्य महाप्रभु ने प्रत्यक्ष रूप से उस पवित्र मुसलमान को कृष्ण का पवित्र नाम जपने का उपदेश देकर उसे दीक्षित कर दिया। उस मुसलमान का नाम बदलकर रामदास कर दिया गया। एक अन्य पठान वहाँ मौजूद था, जिसका नाम विजुली खान रखा गया। | | |
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