श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 2: मध्य लीला  »  अध्याय 18: श्री चैतन्य महाप्रभु द्वारा वृन्दावन में भ्रमण  »  श्लोक 202
 
 
श्लोक  2.18.202 
অনেক দেখিনু মুঞি ম্লেচ্ছ-শাস্ত্র হৈতে
‘সাধ্য-সাধন-বস্তু’ নারি নির্ধারিতে
अनेक देखिनु मुञि म्लेच्छ - शास्त्र हैते ।
‘साध्य - साधन - वस्तु’ नारि निर्धारिते ॥202॥
 
अनुवाद
"मैंने मुस्लिम धार्मिक ग्रंथों का गहन अध्ययन किया है, परन्तु मैं अभी भी यह स्पष्ट रूप से नहीं बता सकता कि जीवन का परम उद्देश्य क्या है या मैं कैसे उसे प्राप्त कर सकता हूँ।"
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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