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श्लोक 2.18.202  |
অনেক দেখিনু মুঞি ম্লেচ্ছ-শাস্ত্র হৈতে
‘সাধ্য-সাধন-বস্তু’ নারি নির্ধারিতে |
अनेक देखिनु मुञि म्लेच्छ - शास्त्र हैते ।
‘साध्य - साधन - वस्तु’ नारि निर्धारिते ॥202॥ |
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अनुवाद |
"मैंने मुस्लिम धार्मिक ग्रंथों का गहन अध्ययन किया है, परन्तु मैं अभी भी यह स्पष्ट रूप से नहीं बता सकता कि जीवन का परम उद्देश्य क्या है या मैं कैसे उसे प्राप्त कर सकता हूँ।" |
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