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श्लोक 200
श्लोक
2.18.200
‘নির্বিশেষ-গোসাঞি’ লঞা করেন ব্যাখ্যান
‘সাকার-গোসাঞি’ — সেব্য, কারো নাহি জ্ঞান
‘निर्विशेष - गोसा ञि’ लञा करेन व्याख्यान ।
‘साकार - गोसा ञि’ - सेव्य, कारो नाहि ज्ञान ॥200॥
अनुवाद
“सामान्यतः वे भगवान् के निर्गुण स्वरूप का वर्णन करते हैं, परन्तु उन्हें शायद ही पता हो कि भगवान् का व्यक्त रूप पूजनीय है। निस्संदेह, उनमें इस ज्ञान का अभाव है।”
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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