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श्लोक 192
श्लोक
2.18.192
সৃষ্টি, স্থিতি, প্রলয তাঙ্হা হৈতে হয
স্থূল-সূক্ষ্ম-জগতের তেঙ্হো সমাশ্রয
सृष्टि, स्थिति, प्रलय ताँहा हैते हय ।
स्थूल - सूक्ष्म - जगतेर तेंहो समाश्रय ॥192॥
अनुवाद
“सृष्टि, पालन और विलय का जन्म उन्हीं से होता है। वे सभी स्थूल और सूक्ष्म ब्रह्मांडीय प्रकटों के मूल आश्रय हैं।”
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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