श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 2: मध्य लीला  »  अध्याय 18: श्री चैतन्य महाप्रभु द्वारा वृन्दावन में भ्रमण  »  श्लोक 191
 
 
श्लोक  2.18.191 
সচ্-চিদ্-আনন্দ-দেহ, পূর্ণ-ব্রহ্ম-স্বরূপ
‘সর্বাত্মা’, ‘সর্বজ্ঞ’, নিত্য সর্বাদি-স্বরূপ
सच्चिदानन्द - देह, पूर्ण - ब्रह्म - स्वरूप ।
‘सर्वात्मा’, ‘सर्वज्ञ’, नित्य सर्वादि - स्वरूप ॥191॥
 
अनुवाद
कुरान के अनुसार, भगवान् का स्वरूप चिरंतन, आनंदपूर्ण और परम दिव्य है। वे परम सत्य, सर्वव्यापक, सर्वज्ञ और शाश्वत व्यक्तित्व हैं। वे समस्त वस्तुओं के उद्गम हैं।
 
 ✨ ai-generated
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2025 vedamrit. All Rights Reserved.