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श्लोक 2.18.179  |
ভয পাঞা ম্লেচ্ছ ছাডি’ দিল চারি-জন
প্রভু না দেখিল নিজ-গণের বন্ধন |
भय पाञा म्लेच्छ छा ड़ि’ दिल चारि - जन ।
प्रभु ना देखिल निज - गणेर बन्धन ॥179॥ |
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अनुवाद |
सभी पठान सैनिक भयभीत होकर तुरंत ही चारों व्यक्तियों को रिहा कर दिया। इस प्रकार श्री चैतन्य महाप्रभु ने अपने व्यक्तिगत सहयोगियों को बंदी रूप में नहीं देखा। |
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