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श्लोक 2.18.177  |
হুঙ্কার করিযা উঠে, বলে ‘হরি’ ‘হরি’
প্রেমাবেশে নৃত্য করে ঊর্ধ্ব-বাহু করি’ |
हुङ्कार करिया उठे, बले ‘हरि’ ‘हरि’ ।
प्रेमावेशे नृत्य करे ऊर्ध्व - बाहु करि’ ॥177॥ |
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अनुवाद |
चेतना आते ही महाप्रभु ने जोर-जोर से "हरि! हरि!" का उच्चारण किया। वे अपनी दोनों बाहें ऊपर उठाकर प्रेम से भावविभोर होकर नृत्य करने लगे। |
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