श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 2: मध्य लीला  »  अध्याय 18: श्री चैतन्य महाप्रभु द्वारा वृन्दावन में भ्रमण  »  श्लोक 176
 
 
श्लोक  2.18.176 
শুনিযা পাঠান মনে সঙ্কোচ হ-ইল
হেন-কালে মহাপ্রভু ‘চৈতন্য’ পাইল
शुनिया पाठान मने सङ्कोच हइल ।
हेन - काले महाप्रभु ‘चैतन्य’ पाइल ॥176॥
 
अनुवाद
यह चुनौती सुनकर, पाठान सिपाही झिझकने लगे। तब अचानक श्री चैतन्य महाप्रभु को होश आ गया।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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