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श्लोक 170
श्लोक
2.18.170
এই যতি ব্যাধিতে কভু হযেন মূর্চ্ছিত
অবঙ্হি চেতন পাইবে, হ-ইবে সম্বিত
एइ यति व्याधिते कभु हयेन मूर्च्छित ।
अबँहि चेतन पाइबे, हडबे सम्वित ॥170॥
अनुवाद
"ये संन्यासी रोग के कारण कभी-कभी होश खो देते हैं। कृपया यहीं बैठ जाइए, और आप देख सकते हैं कि वह बहुत जल्द होश में आ जाएगा और अपनी सामान्य स्थिति में होगा।"
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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