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श्लोक 2.18.17  |
প্রেমে মত্ত চলি’ আইলা গোবর্ধন-গ্রাম
‘হরিদেব’ দেখি’ তাহাঙ্ হ-ইলা প্রণাম |
प्रेमे मत्त च लि’ आइला गोवर्धन - ग्राम ।
‘हरिदेव’ देखि’ ताहाँ हइला प्रणाम ॥17॥ |
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अनुवाद |
प्रेम के उल्लास में डूबे श्रीमद्भागवत ने गोवर्धन नामक गाँव में प्रवेश किया। वहाँ उन्होंने हरिदेव की अर्चाविग्रह का दर्शन किया और उन्हें विनम्रतापूर्वक प्रणाम किया। |
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