श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 2: मध्य लीला  »  अध्याय 18: श्री चैतन्य महाप्रभु द्वारा वृन्दावन में भ्रमण  »  श्लोक 165
 
 
श्लोक  2.18.165 
এই চারি বাটোযার ধুতুরা খাওযাঞা
মারি’ ডারিযাছে, যতির সব ধন লঞা
एइ चारि बाटोयार धुतुरा खाओयाञा ।
मारि’ डारियाछे, यतिर सब धन लञा ॥165॥
 
अनुवाद
"ये चार धूर्त निश्चित ही इस संन्यासी को धतूरा खिला के मारने के बाद उसके सारे पैसे ले गए होंगे।"
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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