श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 2: मध्य लीला  »  अध्याय 18: श्री चैतन्य महाप्रभु द्वारा वृन्दावन में भ्रमण  »  श्लोक 160
 
 
श्लोक  2.18.160 
সেই বৃক্ষ-নিকটে চরে বহু গাভী-গণ
তাহা দেখি’ মহাপ্রভুর উল্লসিত মন
सेइ वृक्ष - निकटे चरे बहु गाभी - गण ।
ताहा दे खि’ महाप्रभुर उल्लसित मन ॥160॥
 
अनुवाद
उस वृक्ष के पास अनेक गायें चर रही थीं, और उन्हें देखकर भगवान बहुत संतुष्ट हुए।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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