|
|
|
श्लोक 2.18.160  |
সেই বৃক্ষ-নিকটে চরে বহু গাভী-গণ
তাহা দেখি’ মহাপ্রভুর উল্লসিত মন |
सेइ वृक्ष - निकटे चरे बहु गाभी - गण ।
ताहा दे खि’ महाप्रभुर उल्लसित मन ॥160॥ |
|
अनुवाद |
उस वृक्ष के पास अनेक गायें चर रही थीं, और उन्हें देखकर भगवान बहुत संतुष्ट हुए। |
|
|
|
✨ ai-generated |
|
|